Friday, September 20, 2019

किंग नहीं बल्कि किंगमेकर बनने की इच्छा

लिबरमन और नेतन्याहू के बीच अगर कुछ खटास पैदा हुई तो भी दोनों ने ही इसे अलग करके पिछले 20 सालों के दौरान कुछ हद तक एक दूसरे का साथ भी दिया है. नेतन्याहू की सरकार में लिबरमन विदेश और रक्षा मंत्री रहे. रक्षा मंत्री के पद से उन्होंने नेतन्याहू के साथ वैचारिक मतभेद की वजह से इस्तीफ़ा दिया था.
वैसे लिबरमन ने पिछले 20 वर्षों के दौरान कई महत्वपूर्ण मंत्री पद संभाला मगर लगभग हर बार वो किसी नैतिक पहलू का बहाना बनाकर इस्तीफ़ा देते रहे हैं. विश्लेषकों का मानना है कि लिबरमन की ये सोची समझी चाल है जो की अक्सर कामयाब रही है.
इस तरह वो लोगों में पद का लोभी न होने का सन्देश देते रहते हैं मगर हक़ीक़त में उनकी चाहत हमेशा किंगमेकर बनकर पावर के गलियारों में प्रभावशाली बने रहने की होती है. उनकी इसराइल बेतेनु पार्टी अक्सर सरकार में तब शामिल होती रही है जब गठबंधन कमज़ोर हो गया होता है. इसका उन्हें पूरा लाभ मिलता है और ये देखा गया है की वो हमेशा ऐन वक़्त पर सरकार से कोई न कोई नैतिक सवाल उठाकर बाहर होते रहे हैं.
नौ अप्रैल, 2019 को इसी तरह जब उन्होंने अल्ट्रा-रूढ़िवादी यहूदियों को सैन्य सेवा से मुक्ति के सवाल पर नेतन्याहू की सरकार में शामिल होने से मना किया तो विश्लेषकों ने उनकी नीयत पर सवाल उठाया.
अगर लिबरमन इस तबके के लोगों की राजनीति का विरोध करते हैं तो पहले कई बार वो उनके साथ हाथ मिलाकर चुनाव में साथ रहे हैं उसका क्या औचित्य हो सकता है? ऐसे में सिर्फ़ एक ही जवाब सामने आता है. क्या वो नेतन्याहू से अपना पुराना बैर चुकता कर रहे हैं?
हाल ही में नेतन्याहू की बायोग्राफी लिख चुके पत्रकार अनशेल फेफर का कहना है कि लिबरमन के मन में हमेशा ही नेतन्याहू को सबक सीखाने की कामना रही है. वो बस सही वक़्त का इंतज़ार कर रहे थे. शायद वो अवसर उन्हें अब मिला है और नेतन्याहू को शीर्ष पर पहुँचाने वाले लिबरमन ही उन्हें शून्य पर लाने वाले भी साबित हो सकते हैं.
लिबरमन अक्सर अरब आबादी के ख़िलाफ़ ज़हर उगलने के लिए भी ख़बरों में बने रहते हैं.
उन्होंने अरब आबादी के ट्रांसफ़र, ग़द्दार अरब नेताओं को ख़त्म करने की पेशकश से लेकर हमास के नेता इस्माइल हनिये को मौत के घाट उतारने तक की बात की है. मगर इन सबके बीच उन्हें एक प्रैगमैटिक नेता के रूप में भी देखा जाता है क्योंकि पश्चिम तट की नोकदीम बस्ती, जहाँ वो रहते हैं, अगर उससे भी फ़लस्तीनियों के साथ ज़मीन की अदला बदली द्वारा समस्या का समाधान निकले तो उनका कहना है कि वो उससे पीछे नहीं हटेंगे.
भारत प्रशासित कश्मीर में सुरक्षा बल प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पैलेट गन यानी छर्रे वाली बंदूक़ का इस्तेमाल करते रहे हैं.
कहा जाता है पैलेट गन के छर्रों से आम तौर पर मौत तो नहीं होती लेकिन इसकी चोट से ऐसे नुक़सान हो सकते हैं, जिनकी भरपाई नहीं हो सकती.
कश्मीर घाटी में बीते कुछ साल में पैलेट गन के छर्रों की वजह से कई लोग आंखों की रोशनी खो चुके हैं.
पिछले महीने आठ अगस्त को श्रीनगर की राफ़िया भी पैलेट गन का निशाना बन गईं. उन्हें एक आंख से दिखाई देना बंद हो गया और ज़िंदगी मुश्किलों से भर गई.
राफ़िया का कहना है कि भारतीय सेना ने इलाज के लिए उन्हें चेन्नई भी भेजा. राफ़िया से बात की हमारे सहयोगी माजिद जहांगीर ने.
आठ अगस्त को मैं और मेरे पति सब्ज़ी लेने के लिए बाहर जा रहे थे. हम गेट से बाहर ही निकल रहे थे कि बहुत सारे लड़के हमारी तरफ़ भाग कर आए.
मेरे पति मुझसे थोड़ा पहले निकल गए थे तो मैंने देखा कि वो भी लड़कों के साथ दौड़कर वापस आ रहे हैं. उनके साथ कोई सुरक्षाकर्मी भी था.
उन्होंने मेरी तरफ़ लगातार पैलेट गन चलाईं. मैंने हाथ के इशारे से उन्हें रुकने के लिए कहा लेकिन इसके बाद भी वे नहीं रुके.
मेरे पति ने मुझे कवर किया और उनकी पीठ पर सभी पैलेट गोलियां लग गई. उसमें से जो मिस हो गईं वो मेरी बाईं आंख, सिर, नाक में और हाथ में लगीं.
उसके बाद मेरे पति दौड़कर मुझे कमरे में ले गए. मैंने अपनी जेठानी को दिखाया कि मेरी आंख में भी पैलेट लगी है. मुझे कुछ दिख नहीं रहा है. तब घरवाले जल्दी से मुझे एक मेडिकल शॉप में लेकर गए.
शॉप वाले ने पूछा कि कुछ दिख रहा है तो मैंने बताया कि कुछ दिखाई नहीं दे रहा. उन्होंने कहा कि आप जल्दी से इलाज के लिए रैनावारी चले जाओ. लेकिन, वहां से भी डॉक्टर ने कहा कि जल्द से जल्द हेडवना में जाओ.
वहां पर डॉक्टर ने मेरे सब टेस्ट करवाए और फिर रात को ऑपरेशन किया. उन्होंने सुबह बताया कि पैलेट नहीं निकला. उसके बाद मुझे डिस्चार्ज किया गया और कहा गया कि ईद के बाद मेरी दूसरी सर्जरी होगी और फिर वो देखेंगे.
लेकिन, मेरी हालत ख़राब थी तो हम और इंतज़ार नहीं कर सकते थे. तब मेरे पति ने मुझे प्राइवेट डॉक्टर को दिखाया. डॉक्टर ने कहा कि यहां पर पैसे बर्बाद मत करो और जितना जल्दी हो सके बाहर जाओ.